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विसर्ग संधि :- परिभाषा, भेद,उदाहरण | visarg sandhi, paribhasha, bhed, udaharan|

  

                   3विसर्ग संधि


यदि पहले शब्द के अंत में विसर्ग ध्वनि आती है, तो उसके बाद में आनेवाले शब्द के स्वर अथवा व्यंजन के साथ मिलन होता ही है, ऐसी स्थिति में प्रायः कुछ-न-कुछ ध्वनि विकार हो जाता है, यही विसर्ग संधि है। 

विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के योग को विसर्ग (:) संधि कहते हैं । 

 

विसर्ग (:) संधि का प्रकार :- 

A. स्वर: + अघोष  (क,ख,च,छ, ट,ठ, त,थ,प,फ,श, 

     ष,स) 13  

B. स्वर : + घोष/सघोष ( वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवा 

     व्यंजन +य र ल व ह + स्वर) 15 + 5+ 11 =31


A. स्वर:+ अघोष 

अघोष (क,ख,(कंठय्) च,छ,श(तालव्य) ट,ठ,ष (मूर्धन्य) त,थ,स (दंत्य) प,फ (ओष्ठ्य) 


1. स्वर:+च/छ/श  = विसर्ग (:) का श् ( तालव्य) हो जाता है। 

आ: + चर्य = आश्चर्य

कः + चित् : कश्चित्

तपः + चर्या = तपश्चर्या

पुरः + चरण = पुरश्चरण

मनः + चेतना = मनश्चेतना

मनः + चिकित्सा = मनश्चिकित्सा

यशः + शरीर = यशश्शरीर

यशः + शेष = यशश्शेष


2. स्वर:+ट/ठ/ष = विसर्ग (:) का ष् (मूर्धन्य) हो जाता  है।

धनु:+टंकार = धनुष्टंकार 


3. स्वर:+ त/थ/स = विसर्ग (:) का स्( दंत्य) हो जाता  है 

नम:+ ते = नमस्ते (नम्+:+ते) 

मन: + ताप = मनस्ताप

शिर: + त्राण = शिरस्त्राण (कवच) 

चतु:+सीमा =चतुस्सीमा

पुर:+सर = पुरस्सर 


4.  स्वर :+ क/ख/प/फ = विसर्ग (:) का ष् (मूर्धन्य) हो 

     जाता है - 

आवि:+कार= आविष्कार (आव्+ई+:+कार) 

चतु: + कोण = चतुष्कोण

चतु: + काष्ठ = चतुष्काष्ठ (चौखट)

चतु: + पद = चतुष्पद

चतु: + पथ = चतुष्पथ

चतु: + पाद = चतुष्पाद (चौपाया)

बहिः + कृत = बहिष्कृत


5. (a)अ /आ:+ क/ख/प/फ = विसर्ग (:) का स् ( दंत्य) हो जाता है 

तिर: + कार = तिरस्कार 

नम: + कार = नमस्कार 

पुर: + कार = पुरस्कार

भा: + कर = भास्कर 

पर: + पर = परस्पर

भा: + पति = भास्पति 

(b) अ /आ:+ क/ख/प/फ = विसर्ग (:) में कोई बदलाव नहीं होगा 

पय:+पान = पय:पान

प्रातः + काल = प्रातः काल

अध: + पतन =अध:पतन

 मन: + कामनाक्ष= मन:कामना   

( मनोकामना अशुद्ध है)



(B) स्वर:+ घोष /सघोष

( वर्ग का तीसरा चौथा पांचवा व्यंजन य र ल व ह और सभी स्वर) 

अर्थात् 11:+31 

1. अ:+ इ/ए = विसर्ग का लोप

अत:+एव = अतएव

(अत+ एव = अतैव-वृद्धि संधि) 

यश:+इच्छा = यशइच्छा


2. (a) . अ:+स्वर = अ: का ओ  तथा दूसरे शब्द के      

     प्रथम स्वर का लोप

अन्यः + अन्य = अन्योन्य

परः + अक्ष (अक्षि) = परोक्ष (अक्षि से परे)

मनः + अनुकूल = मनोनुकूल

मनः + अनुभूति = मनोनुभूति 

मनः + अभिराम (सुंदर) = मनोभिराम 

मनः + अभिलाषा = मनोभिलाषा

यशः + अभिलाषा = यशोभिलाषा 

सः + अहम् = सोहम्

(b) . अ: + घोष/सघोष व्यंजन (20) = अ: का ओ 

पयः + द = पयोद (पय्+अ:+द) 

अधः + गामी = अधोगामी

(कमर से नीचे का वस्त्र)

अध: + भाग = अधोभाग

अधः + मुखी = अधोमुखी

अधः + वस्त्र = अधोवस्त्र

उर: + ज= उरोज (स्तन) 

मनः + योग = मनोयोग

मनः + व्यथा = मनोव्यथा

रजः + दर्शन = रजोदर्शन

अंतत: + गत्वा = अंततोगत्वा

अंभः + ज = अंभोज (कमल)

अधः + भूमि = अधोभूमि

अधः + लिखित = अधोलिखित

अप्भ + द = अप्भोद (बादल)

छंदः + मय = छंदोमय

तपः + धन = तपोधन

तपः + बल = तपोबल

तमः + मय = तमोमय

तिरः + धान = तिरोधान (लोप होना)

तेजः + मय = तेजोमय

तेज: + रूप = तेजोरूप

नमः + मंडल = नभोमंडल

पयः + ज = पयोज

पयः + द = पयोद

पयः + घर = पयोधर (बादल)

पयः + धि = पयोधि (समुद्र)

पयः + निधि = पयोनिधि (समुद्र)

पुरः + हित = पुरोहित

पुरः + वाक = पुरोवाक् (भूमिका)

मनः + जा = मनोज (कामदेव)

मनः + दशा = मनोदशा

मनः + धारा = मनोधारा

मनः + नयन (ने + अन) = मनोनयन

मनः + बल = मनोवल

मनः + भव = मनोभव (कामदेव)

मनः + मय = मनोमय

मनः + रथ = मनोरथ

मनः + विनोद = मनोविनोद

मनः + वृत्ति = मनोवृत्ति

मनः + हर = मनोहर

मनः + रोग = मनोरोग

यशः + दा = यशोदा



3.  इ/ई/उ :+ घोष/सघोष वर्ण  = विसर्ग का र् 

नि: + आशा = निराशा

नि: + धन = निर्धन

आशी: + वाद = आशीर्वाद

आयुः + वेद = आयुर्वेद

आविः + भाव = आविर्भाव

आशी: + वचन आशीर्वचन

आशीः + बाद = आशीर्वाद

चतुः + दिशा चतुर्दिश (आ का लोप)

धनु: + ज्ञान = धनुर्ज्ञान

धनु: + वेद = धनुर्वेद

प्रादुः + भाव = प्रादुर्भाव

प्रादुः + भूत = प्रादुर्भूत

बहिः + द्वंद्व = बहिर्दद्वंद्व

बहिः + भाग = बहिर्भाग

बहिः + मुखी = बहिर्मुखी 

स्वः + ग = स्वर्ग (अपवाद)

(अ: के बाद भी र)



4. ई/उ: + र वर्ण = (नियम:-3 के अनुसार विसर्ग का र् या विसर्ग का लोप) तथा इ/उ के स्थान पर ई/ ऊ हो जाता है। 

नि: + रोग = नीरोग (न्+ई:+रोग) 

उपसर्ग - निर् 

दु :+राज = दूराज


5. इ/उ : + म घोष = विसर्ग का ष् 

 इ: उ: के बाद यदि घोष वर्ण आता है तो विसर्ग र् में बदलता है किंतु संस्कृत में म घोष व्यंजन के पहले भी विसर्ग (:) ष् में बदल जाता है;

जैसे

आयु: + मान = आयुष्मान

आयु: + मती = आयुष्मती

चक्षुः + मान् = चक्षुष्मान् (सुंदर आँखवाला) 

ज्योतिः + मती = ज्योतिष्मती

वपुः (शरीर) = मान् = वपुष्मान

(शरीरी, सुंदर शरीरवाला)



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